क्या कहते हैं कानून और मानवाधिकार

पूछताछ के दौरान अधिकार
आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-160 के अंतर्गत किसी भी महिला को पूछताछ के लिए थाने या अन्य किसी स्थान पर नहीं बुलाया जाएगा।
उनके बयान उनके घर पर ही परिवार के जिम्मेदार सदस्यों के सामने ही लिए जाएंगे।
रात को किसी भी महिला को थाने में बुलाकर पूछताछ नहीं करनी चाहिए। बहुत जरुरी हो तो परिवार के सदस्यों या 5 पड़ोसियों के सामने उनसे पूछताछ की जानी चाहिए।
पूछताछ के दौरान शिष्ट शब्दों का प्रयोग किया जाए।

गिरफ्तारी के दौरान अधिकार
महिला अपनी गिरफ्तारी का कारण पूछ सकती है।
गिरफ्तारी के समय महिला को हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी।
महिला की गिरफ्तारी महिला पुलिस द्वारा ही होनी चाहिए।
सी.आर.पी.सी. की धारा-47(2) के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति को ऐसे रिहायशी मकान से गिरफ्तार करना हो, जिसकी मालकिन कोई महिला हो तो पुलिस को उस मकान में घुसने से पहले उस औरत को बाहर आने का आदेश देना होगा और बाहर आने में उसे हर संभव सहायता दी जाएगी।
यदि रात में महिला अपराधी के भागने का खतरा हो तो सुबह तक उसे उसके घर में ही नजरबंद करके रखा जाना चाहिए। सूर्यास्त के बाद किसी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
गिरफ्तारी के 24 घंटों के भीतर महिला को मजिस्टे्रट के समक्ष पेश करना होगा।
गिरफ्तारी के समय महिला के किसी रिश्तेदार या मित्र को उसके साथ थाने आने दिया जाएगा।

थाने में महिला अधिकार
गिरफ्तारी के बाद महिला को केवल महिलाओं के लिए बने लॉकअप में ही रखा जाएगा या फिर महिला लॉकअप वाले थाने में भेज दिया जाएगा।
पुलिस द्वारा मारे-पीटे जाने या दुर्व्यवहार किए जाने पर महिला द्वारा मजिस्टे्रट से डॉक्टरी जांच की मांग की जा सकती है।
सी.आर.पी.सी. की धारा-51 के अनुसार जब कभी किसी स्त्री को गिरफ्तार किया जाता है और उसे हवालात में बंद करने का मौका आता है तो उसकी तलाशी किसी अन्य स्त्री द्वारा शिष्टता का पालन करते हुए ली जाएगी।

तलाशी के दौरान अधिकार
धारा-47(2)के अनुसार महिला की तलाशी केवल दूसरी महिला द्वारा ही शालीन तरीके से ली जाएगी। यदि महिला चाहे तो तलाशी लेने वाली महिला पुलिसकर्मी की तलाशी पहले ले सकती है। महिला की तलाशी के दौरान स्त्री के सम्मान को बनाए रखा जाएगा। सी.आर.पी.सी. की धारा-1000 में भी ऐसा ही प्रावधान है।

जांच के दौरान अधिकार
सी.आर.पी.सी. की धारा-53(2) के अंतर्गत यदि महिला की डॉक्टरी जांच करानी पड़े तो वह जांच केवल महिला डॉक्टर द्वारा ही की जाएगी।
जांच रिपोर्ट के लिए अस्पताल ले जाते समय या अदालत में पेश करने के लिए ले जाते समय महिला सिपाही का महिला के साथ होना जरुरी है।

प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर.) दर्ज कराते समय अधिकार
पुलिस को निर्देश है कि वह किसी भी महिला की एफ.आई.दर्ज करे।
रिपोर्ट दर्ज कराते समय महिला किसी मित्र या रिश्तेदार को साथ ले जाए।
रिपोर्ट को स्वयं पढ़ने या किसी अन्य से पढ़वाने के बाद ही महिला उस पर हस्ताक्षर करें।
उस रिपोर्ट की एक प्रति उस महिला को दी जाए।
पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न किए जाने पर महिला वरिष्ठस्न् पुलिस अधिकारी या स्थानीय मजिस्ट्रेट से मदद की मांग कर सकती है।
धारा-437 के अंतर्गत किसी गैर जमानत मामले में साधारणयता जमानत नहीं ली जाती है, लेकिन महिलाओं के प्रति नरम रुख अपनाते हुए उन्हें इन मामलों में भी जमानत दिए जाने का प्रावधान है।
किसी महिला की विवाह के बाद सात वर्ष के भीतर संदिग्ध अवस्था में मृत्यु होने पर धारा-174(3) के अंतर्गत उसका पोस्टमार्टम प्राधिकृञ्त सर्जन द्वारा तथा जांच एस.डी.एम. द्वारा की जानी अनिवार्य है।
धारा-416 के अंतर्गत गर्भवती महिला को मृत्यु दंड से छूट दी गई है।


जय हिंद।सभी से मेरा विनम्र निवेदन है कि ये मेरा ब्लॉग स्पॉट है सभी इसको लाइक करें।निवेदक शिवराज स्वराज संस्थापक क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स
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