कुछ समय पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि उच्च अधिकारियों को अपने बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाने चाहिए, लेकिन कोर्ट की इस मंशा के मुताबिक शायद ही किसी ने ऐसा किया हो. अधिकारी अक्सर अपने बच्चों को भारी भरकम फीस खर्च प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं, लेकिन लखीमपुर के गोला इलाके की एसडीएम पल्लवी मिश्रा और उनके पति डीपीओ इस बात का पालन कर बड़ा संदेश दे रहे हैं.
अखिलेंद्र दुबे मूल रूप से झांसी जिले के रहने वाले हैं. वह लखीमपुर में डीपीओ हैं. वहीं, उनकी पत्नी पल्लवी मिश्रा लखीमपुर के गोला इलाके की एसडीएम हैं. उनकी बेटी अमारुषा साढ़े तीन साल की है. दोनों अधिकारी दम्पति ने अपनी बेटी का दाखिला सरकारी प्राइमरी स्कूल में कराया है. दम्पति का कहना है कि उन्होंने शहर के कई प्राइवेट स्कूलों का हाल देखा, फिर फैसला किया कि बेटी को सरकारी स्कूल ही भेजेंगे. उनके इस कदम की सोशल मीडिया पर चर्चा है.
प्राइवेट स्कूलों का हाल ठीक नहीं, इसलिए कराया दाखिला
उनके पति डीपीओ अखिलेंद्र दुबे कहते हैं कि बच्ची के लिए वह प्री-स्कूलिंग चाह रहे थे. उन्होंने कई स्कूल देखे फिर बहुत सोच समझकर फैसला किया कि बच्ची को सरकारी स्कूल में भेजना चाहिए. ये इसलिए भी अच्छा है क्योंकि सरकारी स्कूलों को समाज के बीच मान्यता मिलेगी. लोकप्रियता बढ़ेगी.
उत्साहजनक है ये कदम
राजापुर प्राथमिक स्कूल के टीचर्स बताते हैं कि यह अच्छा है कि अधिकारी वर्ग के लोग स्कूल की पढ़ाई-लिखाई, माहौल और पढ़ाने वालों पर भरोसा जता रहे हैं. इसके लिए हम उनके आभारी हैं. यह अच्छी शुरुआत है. इन स्कूलों की दशा सुधारने के लिए दोनों अधिकारियों का यह कदम उत्साहजनक और सराहनीय है.
Very true shivraj ji..Govt policies are good but they are not strictly followed
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