कानून की जानकारी
भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-294
सार्वजनिक जगहों पर अश्लील हरकतें करने या अश्लील गाना गाने पर आईपीसी की धारा 294 लगाई जाती है। इस मामले में गुनाह अगर साबित हो जाए तो तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-302
आईपीसी की धारा 302 कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है। अगर किसी पर कत्ल का दोष साबित हो जाता है, तो उसे उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है। कत्ल के मामलों में खासतौर पर कत्ल के इरादे और उसके मकसद पर ध्यान दिया जाता है। इसमें, पुलिस को सबूतों के साथ ये साबित करना होता है कि कत्ल आरोपी ने किया है, उसके पास कत्ल का मकसद भी था और वो कत्ल करने का इरादा रखता था।
भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-304ए
आईपीसी की धारा 304 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है,जिनकी लापरवाही की वजह से किसी की जान जाती है। इसके तहत दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों होते हैं। सड़क दुर्घटना के मामलों में किसी की मौत हो जाने पर अक्सर इस धारा का इस्तेमाल होता है।
भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-304 बी
आईपीसी में साल 1986 में एक नई धारा 304 बी को शामिल किया गया है। आईपीसी की यह नई धारा खासतौर पर दहेज हत्या या दहेज की वजह से होनी वाली मौतों के लिए बनाई गई है।
अगर शादी के सात साल के अंदर किसी औरत की जलने,चोट लगने या दूसरी असामान्य वजहों से मौत हो जाती है और ये पाया जाता है कि दहेज की मांग की खातिर अपनी मौत से ठीक पहले वह औरत पति या दूसरे ससुराल वालों की तरफ से क्रूरता और उत्पीड़न का शिकार थी, तो आरोपियों पर धारा 304बी लगाई जाती है।
इसमें दोषियों को कम से कम 7 साल की कैद होती है। इसमें अधिकतम सजा उम्रकैद है ।
जय हिन्द।क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स से जुड़ने के लिये सिर्फ फोन करके ही सम्पर्क करें फोन नम्बर 0800-6681155 और ज्यादा जानकारी के लिये लॉगिन करें। www.crimefreeindiaforce.com
सार्वजनिक जगहों पर अश्लील हरकतें करने या अश्लील गाना गाने पर आईपीसी की धारा 294 लगाई जाती है। इस मामले में गुनाह अगर साबित हो जाए तो तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-302
आईपीसी की धारा 302 कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है। अगर किसी पर कत्ल का दोष साबित हो जाता है, तो उसे उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है। कत्ल के मामलों में खासतौर पर कत्ल के इरादे और उसके मकसद पर ध्यान दिया जाता है। इसमें, पुलिस को सबूतों के साथ ये साबित करना होता है कि कत्ल आरोपी ने किया है, उसके पास कत्ल का मकसद भी था और वो कत्ल करने का इरादा रखता था।
भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-304ए
आईपीसी की धारा 304 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है,जिनकी लापरवाही की वजह से किसी की जान जाती है। इसके तहत दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों होते हैं। सड़क दुर्घटना के मामलों में किसी की मौत हो जाने पर अक्सर इस धारा का इस्तेमाल होता है।
भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा-304 बी
आईपीसी में साल 1986 में एक नई धारा 304 बी को शामिल किया गया है। आईपीसी की यह नई धारा खासतौर पर दहेज हत्या या दहेज की वजह से होनी वाली मौतों के लिए बनाई गई है।
अगर शादी के सात साल के अंदर किसी औरत की जलने,चोट लगने या दूसरी असामान्य वजहों से मौत हो जाती है और ये पाया जाता है कि दहेज की मांग की खातिर अपनी मौत से ठीक पहले वह औरत पति या दूसरे ससुराल वालों की तरफ से क्रूरता और उत्पीड़न का शिकार थी, तो आरोपियों पर धारा 304बी लगाई जाती है।
इसमें दोषियों को कम से कम 7 साल की कैद होती है। इसमें अधिकतम सजा उम्रकैद है ।
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