Knowledge Of Law
समाज में चारों ओर गुंडा-गर्दी, दहशत का माहौल है। बलात्कार व हिंसा की घटनाएँ बढ़ रही हैं। विशेषकर महिलाएँ इन घटनाओं का अधिक शिकार होती हैं। गुंडे दफ्तर में, सड़क पर यहाँ तक की मंदिर में भी छिछोरी हरकत करने से बाज नहीं आते, आए दिन बलात्कार की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। गुंडातत्व से तो जैसे-तैसे निपटा जा सकता है लेकिन वासना के पुजारी पुरुष सगे संबंधियों से कैसे निपटे बेचारी नारी। घरेलू-यौन शौषण के अधिकांश मामले लज्जावश दबा दिए जाते हैं। नारी घर की चारदिवारी में भी सुरक्षित नहीं है।
नए कानून में महिलाओं को हिम्मत मिलने की उम्मीद जताई गई है, इस कानून के अनुसार महिलाओं के साथ बलात्कार के मुकद्दमों की सुनवाई सिर्फ महिला जजों से कराने का प्रावधान है। इससे एक अच्छी, असरदार और मानवीय न्याय प्रणाली चलाने में मदद मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बलात्कार के मामलों में चिकित्सा सबूत अपर्याप्त भी हैं, तो भी महिला का ब्यान ही काफी समझा जाना चाहिए। देश में बलात्कार के लगभग 80 प्रतिशत मामलों में सबूतों के अभाव, धीमी पुलिस जाँच में अभियुक्तों को सज़ा नहीं मिल पाती है। बहुत-सी महिलाएँ ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट भी कराने से कतराती हैं। भारतीय महिलाओं में इस तरह की घटनाओं को छुपाने की प्रवृति होती है क्योंकि इससे उनका और उनके परिवार का सम्मान जुड़ा होता है।
अभी तक ऐसा होता था कि पुरुष वकील बलात्कार की शिकार किसी महिला को डराने और धमकाने में कामयाब हो जाते थे, अब महिला जज सहानुभूति वाला माहौल बनाने में मदद करेंगी।
बलात्कार की शिकार कोई महिला अदालत में जिरह के दौरान अपने वकील को अपने साथ रख सकेगी। अभी तक ऐसा कैमरे के सामने होता था जिसमें असहजता होती थी।
बलात्कार की शिकार महिला को महिला वकील देने का प्रावधान किया जा रहा है क्योंकि सिर्फ महिला ही एक महिला को सही तरह से समझ सकती है।
अगर कोई महिला चाहे तो अपनी पसंद का वकील चुन सकती है। अभी तक सिर्फ सरकारी वकील ही ऐसे मामलों में जिरह करते थे।
साथ ही ऐसे मामलों में गवाहों के ब्य़ान पुलिस के सामने देने की प्रथा भी बंद करने का प्रस्ताव किया गया है।
(धारा 375, 376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ भारतीय दंड संहिता)
धारा 375 भारतीय दंड संहिता :-
जब कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध सम्भोग करता है तो उसे बलात्कार कहते हैं। सम्भोग का अर्थ - पुरुष के लिंग का स्त्री की योनि में प्रवेश होना ही सम्भोग है। किसी भी कारण से सम्भोग क्रिया पूरी हुई हो या नहीं वह बलात्कार ही कहलायेगा। बलात्कार तब माना जाता है यदि कोई पुरुष किसी स्त्री साथ निम्नलिखित परिस्थितियों में से किसी भी परिस्थिति में मैथुन करता है वह पुरुष बलात्कार करता है, यह कहा जाता है-
-उसकी इच्छा के विरुद्ध
-उसकी सहमति के बिना
-उसकी सहमति डरा धमकाकर ली गई हो
-उसकी सहमति नकली पति बनकर ली गई हो जबकि वह उसका पति नहीं है
-उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह दिमागी रूप से कमजोर या पागल हो
-उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह शराब या अन्य नशीले पदार्थ के कारण होश में नहीं हो
-यदि वह 16 वर्ष से कम उम्र की है, चाहे उसकी सहमति से हो या बिना सहमति के
-15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा किया गया सम्भोग भी बलात्कार है।
जय हिंद।क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स से जुड़ने के सिर्फ फोन करके ही सम्पर्क करें 0800-6681155 और ज्यादा जानकारी के लिये लिंक को लाइक करें।
https://shivrajswaraj.blogspot.com/2018/07/crime-free-india-force.html
नए कानून में महिलाओं को हिम्मत मिलने की उम्मीद जताई गई है, इस कानून के अनुसार महिलाओं के साथ बलात्कार के मुकद्दमों की सुनवाई सिर्फ महिला जजों से कराने का प्रावधान है। इससे एक अच्छी, असरदार और मानवीय न्याय प्रणाली चलाने में मदद मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बलात्कार के मामलों में चिकित्सा सबूत अपर्याप्त भी हैं, तो भी महिला का ब्यान ही काफी समझा जाना चाहिए। देश में बलात्कार के लगभग 80 प्रतिशत मामलों में सबूतों के अभाव, धीमी पुलिस जाँच में अभियुक्तों को सज़ा नहीं मिल पाती है। बहुत-सी महिलाएँ ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट भी कराने से कतराती हैं। भारतीय महिलाओं में इस तरह की घटनाओं को छुपाने की प्रवृति होती है क्योंकि इससे उनका और उनके परिवार का सम्मान जुड़ा होता है।
अभी तक ऐसा होता था कि पुरुष वकील बलात्कार की शिकार किसी महिला को डराने और धमकाने में कामयाब हो जाते थे, अब महिला जज सहानुभूति वाला माहौल बनाने में मदद करेंगी।
बलात्कार की शिकार कोई महिला अदालत में जिरह के दौरान अपने वकील को अपने साथ रख सकेगी। अभी तक ऐसा कैमरे के सामने होता था जिसमें असहजता होती थी।
बलात्कार की शिकार महिला को महिला वकील देने का प्रावधान किया जा रहा है क्योंकि सिर्फ महिला ही एक महिला को सही तरह से समझ सकती है।
अगर कोई महिला चाहे तो अपनी पसंद का वकील चुन सकती है। अभी तक सिर्फ सरकारी वकील ही ऐसे मामलों में जिरह करते थे।
साथ ही ऐसे मामलों में गवाहों के ब्य़ान पुलिस के सामने देने की प्रथा भी बंद करने का प्रस्ताव किया गया है।
(धारा 375, 376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ भारतीय दंड संहिता)
धारा 375 भारतीय दंड संहिता :-
जब कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध सम्भोग करता है तो उसे बलात्कार कहते हैं। सम्भोग का अर्थ - पुरुष के लिंग का स्त्री की योनि में प्रवेश होना ही सम्भोग है। किसी भी कारण से सम्भोग क्रिया पूरी हुई हो या नहीं वह बलात्कार ही कहलायेगा। बलात्कार तब माना जाता है यदि कोई पुरुष किसी स्त्री साथ निम्नलिखित परिस्थितियों में से किसी भी परिस्थिति में मैथुन करता है वह पुरुष बलात्कार करता है, यह कहा जाता है-
-उसकी इच्छा के विरुद्ध
-उसकी सहमति के बिना
-उसकी सहमति डरा धमकाकर ली गई हो
-उसकी सहमति नकली पति बनकर ली गई हो जबकि वह उसका पति नहीं है
-उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह दिमागी रूप से कमजोर या पागल हो
-उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह शराब या अन्य नशीले पदार्थ के कारण होश में नहीं हो
-यदि वह 16 वर्ष से कम उम्र की है, चाहे उसकी सहमति से हो या बिना सहमति के
-15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा किया गया सम्भोग भी बलात्कार है।
जय हिंद।क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स से जुड़ने के सिर्फ फोन करके ही सम्पर्क करें 0800-6681155 और ज्यादा जानकारी के लिये लिंक को लाइक करें।
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