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Showing posts from May, 2018

4 साल पहले किसी को कुछ नही पता क्योकि जब मोदी जी नही थे।

*मोदी ने सांपों की बिल में जबसे खौलता तैल डालना शुरू किया है सारे के सारे बहुरूपिये ज़हरीले दो मुंहे सामने आ गये..*👍 *4 साल* पहले कितनो को पता था JNU में भारत को टुकड़े करने की और बर्बादी तक जंग लड़ने की बात कही जाती है..? *4 साल* पहले कितनो को पता था JNU में आतंकियों के मौत पर शर्मिंदगी महसूस की जाती है..? *4 साल* पहले कितनो को पता था भारत में सेना पर भी प्रश्न उठाने वाले लोग भारी मात्रा में उपलब्ध हैं..? *4 साल* पहले कितनो को पता था की बॉलीवुड पाकिस्तान परस्तो से भरा पड़ा है..! *4 साल* पहले कितनो को पता था बड़े-बड़े महान कलाकार की सोच हैं कि सेना का जवान मरता है तो हम क्या करें... क्यों जाते है मरने ..? *4 साल* पहले कितनो को पता था कि कैसे-कैस देशद्रोहीे लोगो को और किस की भक्ति करने के लिए भारत के बड़े-बड़े अवार्ड दिए गए थे..! *4 साल* पहले कितनो को पता था हैदराबाद विश्वविद्यालय में भारत विरोध में क्या खेल खेला जा रहा है..! *4 साल* पहले कितनो को पता था FTTI में भारतविरोधी विचारधारा सिखाई जाती हैं..! *4 साल* पहले कितनो को पता था देश में अस्थिरता और भारत विरोध के लिए NGO गै

कैराना उपचुनाव में गठबंधन की तबस्सुम की बड़ी जीत, इन 8 Factor ने किया काम

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कैरान लोकसभा उपचुनाव में आरएलडी की उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने बड़ी जीत दर्ज की है. साल 2019 के ट्रॉयल के रूप में देखे जा रहे इस चुनाव में बीजेपी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. सपा, बसपा, कांग्रेस और आरएलडी गठबंधन की प्रत्याशी ने पूरे समीकरण को धता बताते हुए 40 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की है.  आइए जानते हैं तबस्सुम की जीत के क्या कारण रहे… फैमिली बैकग्राउंड 1.  तबस्सुम हसन एक बड़े राजनैतिक परिवार से ताल्लुख रखती हैं. वह साल 2009 में खुद सांसद रह चुकी हैं. उनके पति मुनव्वर हसन साल 1996 में वहां से सांसद रह चुके हैं. इतना ही नहीं उनके ससुर अख्तर हसन 1984 में कांग्रेस से सांसद थे. तबस्सुम के बेटे नाहिद हसन कैरान विधानसभा से सपा विधायक हैं. ऐसे में स्पष्ट तौर पर दिखता है कि तबस्सुम के परिवार का दखल कैराना से लेकर मुजफ्फरपुर तक है. जाति समीकरण 2.  कैराना चुनाव से पहले सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद समझौता करने पर तैयार रहे. इस गठबंधन ने बिना किसी बड़ी शर्त के तबस्सुम को लड़ाया और ऐसा समीकरण तैयार किया जिसने तबस्सुम की जीत में बड़ी भूमिका निभाई. कैराना के 17 लाख वोटर्स में 5 लाख

उपचुनाव नतीजों में बीजेपी को करारा झटका, विपक्ष ने 14 में से 11 सीटों पर जमाया कब्जा

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4 लोकसभा सीटों और 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजों में विपक्ष भारतीय जनता पार्टी पर भारी पड़ा है. बीजेपी गठबंधन को कुल 14 सीटों में 11 पर करारी हार झेलनी पड़ी है. एक लोकसभा सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की जबकि एक जगह उसका समर्थित उम्मीदवार जीता है. वहीं बाकी दो लोकसभा सीटों पर विपक्ष दल भारी पड़े हैं. ये दोनों सीटें बीजेपी ने अपने ही राज्य यूपी और महाराष्ट्र में गंवाए हैं. विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. कुल 10 सीटों में उसे सिर्फ उत्तराखंड में ही एक सीट पर जीत मिली. लोकसभा सीटें   बीजेपी ने महाराष्ट्र की पालघर लोकसभा सीट पर दोबारा कब्जा जमाया है. जहां से राजेंद्र गावित ने जीत दर्ज की है. जबकि इसी राज्य से दूसरी सीट भंडारा-गोंदिया पर एनसीपी उम्मीदवार जीत रहा है. नागालैंड में लोकसभा उपचुनाव सीट बीजेपी की सहयोगी एनडीपीपी के पक्ष में गई है. जबकि सबसे महत्वपूर्ण यूपी की कैराना लोकसभा सीट बीजेपी ने गंवा दी है. ये सीट बीजेपी सांसद रहे हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई थी. बीजेपी ने उनकी बेची मृगांका सिंह को टिकट दिया था. महाराष्ट्र की दोनों लोकसभा

यूपी: महिला का आरोप- शादी का झांसा देकर BJP विधायक ने कई बार किया रेप

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यूपी में अभी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर मामला शांत हुआ नहीं है कि एक और बीजेपी विधायक पर नाबालिग से रेप का आरोप लग गया है. बदायूं के बिसौली सीट से विधायक कुशाग्र सागर पर एक 22 साल की लड़की ने आरोप लगाया है कि जब वह नाबालिग थी तो विधायक ने उससे रेप किया था. लड़की कुशाग्र सागर के घर में काम करने वाले की बेटी है. बरेली के एसएसपी कलानिधी नैथनी से किए शिकायत में लड़की ने कहा है, कुशाग्र सागर ने शादी का झांसा देकर साल 2012 से लेकर 2014 के बीच उसके साथ कई बार रेप किया. उसने आगे कहा कि कुशाग्र के विधायक बनने के बाद उसकी जिंदगी दयनीय हो गई. बता दें कि कुशाग्र के पिता पूर्व बसपा विधायक योगेंद्र सागर एक महिला से रेप के मामले में साल 2008 से जेल में बंद हैं. साल 2012 में किया था शादी का वादा लड़की ने आगे कहा, ग्रीन पार्क क्षेत्र में स्थित उनके घर में मेरी मां काम करती थी. वह कभी-कभी अपनी सहायता के लिए मुझे भी ले जाती थी. साल 2012 में जब मैं 16 साल की थी तो मैं अपने मां के साथ सागर के घर पर जाया करती थी. इस दौरान ही मैं सागर के संपर्क में आ गई. वह मुझसे बात करने लेगा और शादी का वादा किया
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जय हिन्द आगामी 03 जून 2018 दिन रविवार को क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स की अनुशासन समिति व राष्ट्रीय कार्यकारिणी और हरियाणा प्रदेश कार्यकारिणी व जिला फरीदाबाद कार्यकारिणी व अन्य प्रदेश और जिलों की कार्यकारिणी की घोषणा होनी माननीय संस्थापक महोदय श्री शिवराज स्वराज जी के आदेशानुसार निर्धारित हुई है। समय 11 बजे स्थान लीग्रांड रेजिडेंसी (होटल) परीचौक कासना रोड़ P3 गोल चक्कर के पास आप सभी सादर आमंत्रित हैं। अधिक जानकारी के लिए माननीय संस्थापक महोदय से सम्पर्क सूत्र 8006681155 पर समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वार्ता कर सकते है।  👉लेकिन इस बैठक में सभी राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला, कार्यकारिणी पदाधिकारी अपने साथ निम्नलिखित दस्तावेज लाना अनिवार्य करें। 1. पासपोर्ट साइज 4 फोटो। 2. आधार कार्ड की 2 फोटो कॉपी। 3. पैन कार्ड या निर्वाचन आयोग पहचान पत्र की 2 फोटो कॉपी।            भवदीय:-       आकाश भारद्वाज    भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष              एवम राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यता प्रभारी

Rti के बारे में जानकारी

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पीआईओ वह अधिकारी है जिन्हें सभी प्रशासनिक ईकाईयों या कार्यालयों में लोक अधिकारियों द्वारा इस अधिनियम के अंतर्गत नियुक्त किया गया हो और उसे यह दायित्व दिया गया हो कि वे सूचना प्राप्ति के लिए आग्रह करने वाले सभी नागरिकों को सूचना प्रदान करेंगे। पीआईओ द्वारा अपने कर्त्तव्यों के उचित निर्वाह के लिए माँगी गई अन्य अधिकारियों की सहायता उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी और इस अधिनियम के तहत कार्य करने वाले अन्य अधिकारियों को भी पीआईओ के रूप में माना जाएगा। 1. ऐसे रद्द करने के कारण 2. ऐसे रद्द करने की अवधि के भीतर अपील करने को प्राथमिकता दें, और 3. अपील किए जाने वाले प्राधिकार के विवरण। लोक सूचना अधिकारी को सूचना ऐसे रूप में उपलब्ध करानी होंगी जिसमें वह माँगी गई हो अन्यथा इससे अनावश्यक रूप से लोक प्राधिकारी के संसाधनों का दुरुपयोग होगा या इससे रिकार्ड की सुरक्षा या संरक्षण को क्षति पहुँचने की संभावना रहेगी। यदि सूचना के आंशिक उपयोग की अनुमति दी गई हो तो लोक सूचना अधिकारी आवेदक को यह सूचित करते हुए एक सूचना देना होगा कि- 1. सूचना की गंभीरता के कारण आग्रह किए गए रिकार्ड के मात्र आंशिक भाग को

Rti की जानकारी

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1. इस कानून के लागू होने के 120 दिन के भीतर निम्न सूचना प्रकाशित कराना अनिवार्य होगा- 2. अपने संगठनों, क्रियाकलापों और कर्त्तव्यों के विवरण। 3. अधिकारियों और कर्मचारियों के अधिकार और कर्त्तव्य। 4. अपने निर्णय लेने की प्रक्रिया में अपनाई गई विधि, पर्यवेक्षण और ज़िम्मेदारी की प्रक्रिया सहित। 5. अपने क्रियाकलापों का निर्वाह करने के लिए इनके द्वारा निर्धारित मापदण्ड। 6. अपने क्रियाकलापों का निर्वाह करने के लिए इनके कर्मचारियों द्वारा उपयोग किए गए नियम, विनियम, अनुदेश, मापदण्ड और रिकार्ड। 7. इनके द्वारा धारित या इनके नियंत्रण के अंतर्गत दस्तावेज़ों की कोटियों का विवरण। 8. इनके द्वारा गठित दो या अधिक व्यक्तियों से युक्त बोर्ड, परिषद्, समिति और अन्य निकायों के विवरण। इसके अतिरिक्त, ऐसे निकायों में होने वाली बैठक की ज़ानकारी आम जनता की पहुँच में है या नहीं। 9. इसके अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका। 10. इसके प्रत्येक अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा प्राप्त की जाने वाली मासिक वेतन, इसके विनियमों के अंतर्गत दी जाने वाली मुआवज़े की पद्धति सहित। 11. इसके द्वारा संपादित

पीएम मोदी ने देश को समर्पित किए दो स्मार्ट हाईवे, कहा- उनके लिए परिवार ही देश, मेरे लिए देश ही परिवार

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रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन कर दिया. रविवार सुबह करीब साढ़े दस बजे 14 लेन के दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी ने 7 किलोमीटर रोड शो में भी हिस्सा लिया. ये रोड शो दिल्ली के निजामुद्दीन से शुरू होकर यूपी बॉर्डर के गाजीपुर तक गया और फिर वहां से यू टर्न लेकर अक्षरधाम मंदिर के पास आकर रुक गया. इस दौरान सड़क के किनारे आम लोग और बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए खड़े रहे, पीएम ने भी अपनी गाड़ी की छत पर खिड़की से बाहर निकलकर रोड शो निकाला और पूरे रास्ते हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार करते रहे. अभी पहला चरण हुआ है शुरू बता दें कि अभी दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के 9 किलोमीटर स्ट्रेच को ही जनता के लिए खोला गया है बाकी हिस्से पर काम जारी है. एक बार पूरी तरह से चालू होने के बाद दिल्ली से मेरठ तक सिर्फ 45 मिनट में पहुंचा जा सकेगा. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे देश में पहला ऐसा हाईवे है जो 14 लेन का है, इसके अलावा इसमें सोलर पावर और सीसीटीवी से लेकर पर्यावरण का ख्याल रखते हुए र

हिंदुओं को सात राज्यों में अल्पसंख्यक दर्जा देने पर विचार

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जय श्रीराम।राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की बनाई तीन सदस्य समिती ने हिंदुओ को सात राज्यों और एक केंद्र शाशित प्रदेश में अल्पसंख्यक का दर्जा देने का विचार करेगी।हिंदुओ के लिये जिन राज्यों को अल्पसंख्यक कर रहे हैं वो इस प्रकार है।जम्मू और कश्मीर,पंजाब,मिजोरम,मेघालय,मणिपुर,नगालैंड,अरुणाचल,केंद शासित लक्षदीप हैं।अगर बीजेपी सरकार में ऐसा होता है तो हम और हमारा संघठन "विश्व हिन्दू बोर्ड"पुरजोर विरोध करेगा और जल्द ही जन आन्दोल भी किया जाएगा किसी भी सूरत मेंहम हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा नही मिलने देंगे ये हमारे खिलाफ बहुत बड़ी साजिश है जिसका में पुर जोर विरोध करूँगा और अपने सभी हिंदू  भाई बहनों से निवेदन भी करूँगा ऐसा होने से रोंके।निवेदक शिवराज स्वराज संस्थापक "विश्व हिन्दू बोर्ड"भारत
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यह 12 अक्तूबर, 2005 को लागू हुआ (15 जून, 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन)। इसके कुछ प्रावधान तुरन्त प्रभाव के साथ लागू किए गए यानि लोक प्राधिकारियों की बाध्यता [एस. 4(1)], लोक सूचना अधिकारियों और सहायक लोक सूचना अधिकारियों का पदनाम [एस. 5(1)], केन्द्रीय सूचना आयोग का गठन, (एस. 12 व 13), राज्य सूचना आयोग का गठन (एस. 15 व 16), अन्वेषण/जाँच एजेंसी और सुरक्षा संगठनों पर अधिनियम का लागू न होना (एस. 24) और इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए कानून बनाने का अधिकार। सूचना का मतलब है- रिकार्ड, दस्तावेज़, ज्ञापन, ई-मेल, विचार, सलाह, प्रेस विज्ञप्तियाँ, परिपत्र, आदेश, लॉग पुस्तिकाएँ, ठेके, टिप्पणियाँ, पत्र, उदाहरण, नमूने, डाटा सामग्री सहित कोई भी सामग्री, जो किसी भी रूप में उपलब्ध हों। साथ ही, वह सूचना जो किसी भी निजी निकाय से संबंधित हो, किसी लोक प्राधिकारी के द्वारा उस समय प्रचलित किसी अन्य कानून के अंतर्गत प्राप्त किया जा सकता है, बशर्तें कि उसमें फाईल नोटिंग शामिल नहीं हो। इसके अंतर्गत निम्न चीजें आती है- कार्यों, दस्तावेज़ों, रिकार्डों का निरीक्षण, दस्तावेज़ों या र
जय हिंद।सभी क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स के पदाधिकारियों को सूचित किया जाता है कि 27 मई 2018 बल्लभगढ़ हरियाणा की मीटिंग को स्थगित किया जाता है आगामी समय व स्थान आपको सूचित किया जाएगा।विलम्ब के लिये क्षमा प्रार्थी।निवेदक शिवराज स्वराज संस्थापक क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स
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भैया सिर्फ 2मिनट का समय निकाल कर पुरा पड़ना,,,,,, और अगर कुछ समझ आये तो आगे शेयर कर देना  #मुस्लिम कहते हैं … कि हर मुसलमान बुरा नहीं होता  लेकिन जब मैं सत्यता की  नजरिये से देखता हूँ तो मुझे हर #मुसलमान बुरा ही लगता है ...... उसकी वजह ये ही है कि जब भी मैं #कश्मीर ,असम केरल और #मुस्लिम_बाहुल्य क्षेत्र के बारे में पढता हूँ और सुनता हूँ … तो यही महसूस करता हूँ कि वहां तो अच्छे और बुरे मुसलमान दोनों ही रहते होंगे न ? हिन्दू और मुसलमान अच्छे पड़ोसी भी होंगे न ? एक दूसरे के संग त्यौहार भी मनाते होने न ? कभी ईद की सिवईयां पड़ोसी के घर गयी होंगी कभी होली की गुजिया भी इधर आयी होंगी ......... फिर अचानक ऐसा क्या गुनाह कर दिया हिन्दुओं ने …… कि उनके साथ मारकाट होने लगी ?⁉ फिर अचानक क्या हुआ कि सभी मुसलमानों को अपने हिन्दू पड़ोसी बुरे लगने लगे ? ⁉ क्यूँ #तिरंगा जलाने पर ये बुरे मुसलमान के मुंह पर तमाचे नहीं मारते ?⁉ क्यूँ हिन्दू लड़की के साथ #बलात्कार होते वक़्त उनकी इज्जत नहीं बचाते ?⁉  और सबसे बड़ी बात जो मुझे खटकती है कि जिस समय बुरे मुसलमान हिन्दुओं को मार रहे थे … उ
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प्रथम अपील आवेदन, उसी लोक प्राधिकरण में प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के कार्यालय में करें, पदानुक्रम में प्रथम अपीलीय प्राधिकरण, लोक सूचना अधिकारी से वरिष्ठ अधिकारी होता है। वह आवेदन स्वीकार करने, आवेदक द्वारा माँगी गई सूचना के अनुसार लोक सूचना अधिकारी को सूचना आपूर्त्ति का आदेश देने या सूचना के अधिकार अधिनियम- 2005 के किसी भाग के अंतर्गत आवेदन को अस्वीकृत करने के लिए उत्तरदायी होता है। प्रथम अपील आवेदन सौंपने से पहले, प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के नाम, शुल्क (कुछ राज्यों में प्रथम अपील के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता तो कुछ राज्यों में शुल्क लिये जाते हैं) और शुल्क भुगतान की प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर लें। आवेदन हाथों-हाथ या डाक के माध्यम से भेजा जा सकता है।आवेदन, डाक से भेजने की स्थिति में केवल रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा का ही उपयोग करें। कूरियर सेवा का कभी प्रयोग न करें।दोनों ही परिस्थितियों में आवेदन भेजने या जमा करने की पावती रसीद प्राप्त कर लें। सामान्य स्थिति में निर्णय 30 दिनों में दिया जाना चाहिए, परन्तु अपवादस्वरूप उसमें 45 दिनों का भी समय लग सकता है।निर्णय देने की समय-सीमा
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जय हिंद।क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स द्वारा संचालित E3C कम्प्यूटर संस्थान पर बेसिक कोर्स मात्र 100 रुपये महीने और CCC  करें मात्र सरकारी फीस 590 में ही और अन्य कोर्स भी उपलब्ध कम फीस पर।
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लोक सूचना अधिकारी ने सूचना उपलब्ध कराने वाली आपके आवेदन को अस्वीकार कर दिया हो, लोक प्राधिकरण ने 30 दिन या 48 घंटे, जैसी भी स्थिति हो, की समय-सीमा के भीतर सूचना उपलब्ध कराने में असफल रहा हो, लोक प्राधिकरण ने आवेदन प्राप्ति हेतु अथवा वांछित सूचना उपलब्ध करवाने के लिए सहायक लोक सूचना अधिकारी/लोक सूचना अधिकारी नियुक्त नहीं किया हो, सहायक लोक सूचना अधिकारी ने आपका आवेदन स्वीकार करने या उसे लोक सूचना अधिकारी को अग्रसारित करने से इन्कार कर दिया हो, आप लोक सूचना अधिकारी के निर्णय से संतुष्ट नहीं हों, आपको लगता है कि आपूर्त्ति की गई सूचना अधूरी, दिग्भ्रमित करने वाली या गलत है, आपको लगता है कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना प्राप्त करने हेतु माँगी जा रही शुल्क अनुचित या ज्यादा है। सूचना आपूर्त्ति की समय-सीमा (30 दिन या 48 घंटे के बाद, जैसी भी स्थिति हो) खत्म होने या लोक सूचना अधिकारी से प्राप्त निर्णय या आवेदन अस्वीकृति की सूचना के 30 दिनों के भीतर, यदि प्रथम अपीलीय प्राधिकरण इस बात से संतुष्ट हो जाता है कि अपीलकर्त्ता को पर्याप्त कारणों से अपील याचिका दायर करने
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इतिहास के पन्नो से खोज कर जनेऊधारी राहुल महाराज के माता पिता  का फोटो निकाल कर लाया हूँ #Sonia_gandhi #rajeev_gandhi , देख लो इस गांधी परिवार ने हमारे साथ कितना बड़ा विश्वास घात किया है। 😧😤😤😡😡😡😡

Rti. क्या है।

आप सूचना के अधिकार अधिनियम- 2005 के अंतर्गत किसी लोक प्राधिकरण (सरकारी संगठन या सरकारी सहायता प्राप्त गैर सरकारी संगठनों) से सूचना प्राप्त कर सकते हैं। आवेदन हस्तलिखित या टाइप किया होना चाहिए। आवेदन प्रपत्र भारत विकास प्रवेशद्वार पोर्टल से भी डाउनलोड किया जा सकता है। आवेदन प्रपत्र डाउनलोड संदर्भित राज्य की वेबसाईट से प्राप्त करें आवेदन अँग्रेजी, हिन्दी या अन्य प्रादेशिक भाषाओं में तैयार होना चाहिए। अपने आवेदन में निम्न सूचनाएँ दें: सहायक लोक सूचना अधिकारी/लोक सूचना अधिकारी का नाम व उसका कार्यालय पता, विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम- 2005 की धारा 6(1) के अंतर्गत आवेदन सूचना का ब्यौरा, जिसे आप लोक प्राधिकरण से प्राप्त करना चाहते हैं, आवेदनकर्त्ता का नाम, पिता/पति का नाम, वर्ग- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ी जाति आवेदन शुल्क क्या आप गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवार से आते हैं- हाँ/नहीं, मोबाइल नंबर व ई-मेल पता (मोबाइल तथा ई-मेल पता देना अनिवार्य नहीं) पत्राचार हेतु डाक पता स्थान तथा तिथि आवेदनकर्त्ता के हस्ताक्षर संलग्नकों की सूची आवेदन जमा कर
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जय श्रीराम।देश के सबसे बड़े गद्दार प्रवीण तोगड़िया पूर्व अतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष विश्व हिन्दू परिषद आगामी 24 जून को दिल्ली जंतर मंतर पर राजनैतिक पार्टी की घोषणा करने वाले हैं जबकि अभी इस समय ऐसी किसी पार्टी की जरूरत नही है क्योंकि इस देश को बचाने में श्री मोदी जी की अहम भूमिका है।सभी से निवेदन है कि प्रवीण तोगड़िया का विरोध करें और बीजेपी को सहयोग करें और अपने को भी सुरक्षित करें।निवेदक शिवराज स्वराज संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्व हिन्दू बोर्ड
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सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 अपनी यात्रा में काफी उपलब्धियां हासिल कर चुका है। नागरिकों न केवल महत्वपूर्ण सूचनाएं ही प्राप्त हो रही हैं बल्कि ये सूचनाएं कई बार सिर्फ सूचनाओं तक ही नहीं सीमित होकर अपनी उपयोगिता कई परिप्रेक्ष्य में सिद्ध करती है। केंद्र राज्य स्तर पर सभी विभागों में सूचना का अधिकार लागू कर दिया गया है और इसके लिए अलग विभाग से लेकर कार्यालयों में सूचना की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए कार्यरत कर्मचारियों को मनोनीत लोक सूचना अधिकारी के रुप में नियुक्त किया गया गया है। सूचना की अनुपलब्धता की स्थिति में प्रथम अपीलीय प्राधिकारी, द्वितीय अपील के साथ कुछ विशेष स्थितियों में सीधे तौर आयोग में भी अपील की जा सकती है। कई राज्यों ने सूचना के अधिकार में लोगों की सहायता के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए पूरी तरह से समर्पित आरटीआई की वेबसाईट का निर्माण किया है और आवेदन करने और उसे जमा करने के लिए ऑनलाईन का विकल्प भी उपलब्ध कराया है। कुछ राज्यों ने टोल फ्री नंबर की सेवा भी प्रारंभ की है। सूचना के अधिकार का दर्ज़ा उपयोगिता और इस बात से सिद्ध होता है कि संविधान में
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जय हिंद।आगामी 27 मई दिन रविवार 2018 को क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स की अनुशासन समिति व राष्ट्रीय कार्यकारिणी और हरियाणा प्रदेश कार्यकारिणी व जिला फरीदाबाद कार्यकारिणी की घोषणा होनी निर्धारित हुई है।समय 11 बजे चावला कॉलोनी बलभगढ़ जिला फरीदाबाद हरियाणा आप सभी सादर आमंत्रित हैं।निवेदक शिवराज स्वराज संस्थापक क्राइम फ्री इण्डिया फोर्स व अधिक जानकारी के लिये लॉगिन करें। जय हिंद।जानकारी लिये लॉगिन करें या सिर्फ फोन करके ही सुबह 10 से शाम 5 बजे तक फोन करके ही बात करें। फोन नम्बर 0800-6681155 https://shivrajswaraj.blogspot.in/?m=1
सूचना का अधिकार अधिनियम कानूनसूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) भारत के संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्तूबर, 2005 को लागू हुआ (15 जून, 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन)। भारत में भ्रटाचार को रोकने और समाप्त करने के लिये इसे बहुत ही प्रभावी कदम बताया जाता है। इस नियम के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को सरकारी रेकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जम्मू एवं काश्मीर मे यह जम्मू एवं काश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम २०१२ के अन्तर्गत लागू है। भारत सरकार ने सदैव अपने नागरिको के जीवन को सहज, सुचारु बनाने पर बल दिया है और इस प्रकार इसे ध्‍यान में रखते हुए भारत को पूरी तरह लोक तांत्रिक बनाने के लिए आरटीआई अधिनियम स्‍थापित किया गया है। आरटीआई का अर्थ है सूचना का अधिकार और इसे संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है। धारा 19 (1), जिसके तहत प्रत्‍येक नागरिक को बोलने और अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता दी गई है और उसे यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य करती है, इसकी क्‍या भूमिका है
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प्रसवार्थ निदान तकनीक (दुरुपयोग का विनियम व निवारण) अधिनियम, 1944भ्रूण का लिंग जाँचः भारत सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या पर रोकथाम के उद्देश्य से प्रसव पूर्व निदान तकनीक के लिए 1994 में एक अधिनियम बनाया। इस अधिनियम के अनुसार भ्रूण हत्या व लिंग अनुपात के बढ़ते ग्राफ को कम करने के लिए कुछ नियम लागू किए हैं, जो कि निम्न अनुसार हैं: गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जाँच करना या करवाना। शब्दों या इशारों से गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग के बारे में बताना या मालूम करना। गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जाँच कराने का विज्ञापन देना। गर्भवती महिला को उसके गर्भ में पल रहे बच्चें के लिंग के बारे में जानने के लिए उकसाना गैर कानूनी है। कोई भी व्यक्ति रजिस्टे्रशन करवाएँ बिना प्रसव पूर्व निदान तकनीक(पी.एन.डी.टी.) अर्थात अल्ट्रासाउंड इत्यादि मशीनों का प्रयोग नहीं कर सकता। जाँच केंद्र के मुख्य स्थान पर यह लिखवाना अनिवार्य है कि यहाँ पर भ्रूण के लिंग (सैक्स) की जाँच नहीं की जाती, यह कानूनी अपराध है। कोई भी व्यक्ति  अपने घर पर भ्रूण के लिंग की जाँच के लिए किसी भी तकनीक का प्रयोग नहीं करेगा व इसके स
कार्य स्थल पर महिलाओं की सुरक्षा का एक और कानूनआज से लगभग 22 वर्ष पहले राजस्थान के गांव में एक समाजसेवी महिला के साथ सामूहिम दुष्कर्म की घटना से आहत होकर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट् याचिका प्रस्तुत की गई थी जिसमें पीड़िता के लिए विशेष न्याय या अभियुक्त के लिए सज़ा आदि की प्रार्थना के स्थान पर एक जनहित विषय प्रस्तुत किया गया था। याचिका में प्रार्थना की गई थी कि काम पर लगी महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष कानून बनाया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने 1997 में विशाका बनाम राजस्थान सरकार नामक निर्णय के माध्यम से कई स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए काम पर लगी महिलाओं के नियोक्ताओं को उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। केन्द्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के इन 16 वर्ष पुराने निर्देशों को कानून का रूप देने में कितना विलम्ब कर दिया है, यह अब विचार का विषय नहीं रहा। इस विलम्ब को भारतीय राजनीति की उदासीनता कहें या अक्षमता? वैसे यह दोनों विशेषण सत्य ही हैं। भारतीय राजनीति अनेकों जनहित विषयों के प्रति सदैव उदसीन ही रहती है, जब तक कि कोई विशेष आन्दोलन न छिड़े। भारती
मृत्युदंड: बहस अभी जारी हैमृत्युदंड से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय का नवीनतम शानदार फैसला तमाम और लोगों के साथ मध्यप्रदेश के मगन के लिए भी राहत लाया है। यह फैसला मानवाधिकार संरक्षण की दिशा में एक लंबी छलांग है। मृत्युदंड को भले ही कानूनी रूप से उचित ठहराया जाए, लेकिन क्या इसे सभ्य समाज का द्योतक माना जा सकता है? यह एक अत्यंत शांत और अहिंसक मनुष्य में थोड़ी देर के लिए ही सही पर हिंसा का भाव पैदा कर देता है। मृत्युदंड की विषाक्तता को समाप्त करने की दिशा में यह निर्णय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा लेकिन यह फैसला अधूरा सा लगता है, क्योंकि अभी तक हमारे देश में मृत्युदंड की सजा को पूरी तरह से खत्म नहीं किया है। न्यायालय ने कहा है कि मृत्युदंड पाए अपराधियों की दयायाचिका पर अनिश्चितकाल की देरी नहीं की जा सकती और देरी किए जाने की स्थिति में उनकी सजा को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने 15 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने का आदेश दिया। फैसले में यह भी कहा गया है कि मृत्युदंड का सामना करने वाला कैदी यदि मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो भी उसे फांसी नहीं दी जा सकती और उसकी
क्या कहते हैं कानून और मानवाधिकार पूछताछ के दौरान अधिकार आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-160 के अंतर्गत किसी भी महिला को पूछताछ के लिए थाने या अन्य किसी स्थान पर नहीं बुलाया जाएगा। उनके बयान उनके घर पर ही परिवार के जिम्मेदार सदस्यों के सामने ही लिए जाएंगे। रात को किसी भी महिला को थाने में बुलाकर पूछताछ नहीं करनी चाहिए। बहुत जरुरी हो तो परिवार के सदस्यों या 5 पड़ोसियों के सामने उनसे पूछताछ की जानी चाहिए। पूछताछ के दौरान शिष्ट शब्दों का प्रयोग किया जाए। गिरफ्तारी के दौरान अधिकार महिला अपनी गिरफ्तारी का कारण पूछ सकती है। गिरफ्तारी के समय महिला को हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी। महिला की गिरफ्तारी महिला पुलिस द्वारा ही होनी चाहिए। सी.आर.पी.सी. की धारा-47(2) के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति को ऐसे रिहायशी मकान से गिरफ्तार करना हो, जिसकी मालकिन कोई महिला हो तो पुलिस को उस मकान में घुसने से पहले उस औरत को बाहर आने का आदेश देना होगा और बाहर आने में उसे हर संभव सहायता दी जाएगी। यदि रात में महिला अपराधी के भागने का खतरा हो तो सुबह तक उसे उसके घर में ही नजरबंद करके रखा जाना चाहिए। सूर्यास्त के
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*#पुराणों में #मुसलमानों की #उत्पति  का वर्णन* _भविष्य पुराण में इस्लाम के बारे में मुहम्मद के जन्म से भी कई हज़ार वर्ष पहले बता दिया गया था !_ *लिंड्गच्छेदी शिखाहीनः श्मश्रुधारी सदूषकः !* *उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनोमम !! 25 !!* *विना कौलं च पश्वस्तेषां भक्ष्या मतामम !* *मुसलेनैव संस्कारः कुशैरिव भविष्यति !! 26 !!* *तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषकाः !* *इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृतः  !! 27 !!* (भविष्य पुराण पर्व 3, खण्ड 3, अध्याय 1, श्लोक 25, 26, 27) 5 हज़ार वर्ष पहले भविष्य पुराण में स्पष्ट लिखा है ! इसका हिंदी अनुवाद: *रेगिस्तान की धरती पर एक "पिशाच" जन्म लेगा जिसका नाम महामद होगा, वो एक ऐसे धर्म की नींव रखेगा जिसके कारण मानव जाति त्राहि माम कर उठेगी !* *वो असुर कुल सभी मानवों को समाप्त करने की चेष्टा करेगा .....!* _उस धर्म के लोग अपने लिंग के अग्रभाग को जन्म लेते ही काटेंगे, उनकी शिखा (चोटी ) नहीं होगी, वो दाढ़ी रखेंगे पर मूँछ नहीं रखेंगे। वो बहुत शोर करेंगे और मानव जाति को नाश करने की चेष्टा करेंगे .... !_ राक्षस जाति को बढ़ावा देंगे एवँ वे
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कुछ समय पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि उच्च अधिकारियों को अपने बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाने चाहिए, लेकिन कोर्ट की इस मंशा के मुताबिक शायद ही किसी ने ऐसा किया हो. अधिकारी अक्सर अपने बच्चों को भारी भरकम फीस खर्च प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं, लेकिन लखीमपुर के गोला इलाके की एसडीएम पल्लवी मिश्रा और उनके पति डीपीओ इस बात का पालन कर बड़ा संदेश दे रहे हैं. अखिलेंद्र दुबे मूल रूप से झांसी जिले के रहने वाले हैं. वह लखीमपुर में डीपीओ हैं. वहीं, उनकी पत्नी पल्लवी मिश्रा लखीमपुर के गोला इलाके की एसडीएम हैं. उनकी बेटी अमारुषा साढ़े तीन साल की है. दोनों अधिकारी दम्पति ने अपनी बेटी का दाखिला सरकारी प्राइमरी स्कूल में कराया है. दम्पति का कहना है कि उन्होंने शहर के कई प्राइवेट स्कूलों का हाल देखा, फिर फैसला किया कि बेटी को सरकारी स्कूल ही भेजेंगे. उनके इस कदम की सोशल मीडिया पर चर्चा है. एसडीएम बोली- सरकारी स्कूलों के प्रति धारणा गलत है एसडीएम पल्लवी मिश्रा बताती हैं कि उन्होंने अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में पढ़ाने का फैसला किया. यह स्कूल बेसिक शिक्षा विभाग का अंग्रेजी माध्यम स्कूल है. वह कहती हैं क
नारी को व्यक्ति नहीं मानता था कानून स्त्री कौन है? स्त्री वह मादा इन्सान है जिसने अपना पूर्ण जीवन ही लड़ते हुए बिताया, कभी अपनों के लिए तो कभी अपने अस्तित्व के लिए। कभी सामाजिक मानदंडों से तो कभी धर्म के ठेकेदारों द्वारा बनाए नियम कायदों से लड़ी। सत्ताधारी पुरुष समाज ने नारी को दोयम दर्जा देते हुए अनेक सामाजिक व धार्मिक नियम बना डाले, इतना ही नहीं न्यायालयों पर भी पितृसत्तात्मक सोच का प्रभाव रहा। स्त्री को अपने कानूनी अस्तित्व को बहाल कराने हेतु लगभग साठ साल की लंबी लड़ाई लडऩी पड़ी। हमारा समाज पुरुष प्रधान है। इसके मानक पुरुषों के अनुकूल रहते हैं। तटस्थ मानकों की भी व्याख्या, पुरुषों के अनुकूल हो जाती है। कानून में हमेशा माना जाता है कि जब तक कोई खास बात न हो तब तक पुल्लिंग में, स्त्री लिंग सम्मिलित माना जायेगा। कानून में कभी कभी पुल्लिंग पर अधिकतर तटस्थ शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे कि 'व्यक्ति'। अक्सर कानून कहता है कि, यदि किसी 'व्यक्ति' (person)- -की उम्र ... साल है तो वह वोट दे सकता है, -ने .......... साल ट्रेनिंग ले रखी है तो वह वकील बन सकता है, -ने व